हमारे देश में गुम हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है दिल्ली मुंबई की सड़कों पर आज भी रोज दिन हजारों बच्चे और बड़े गायब हो जाते हैं कुछ गायब होने के कुछ समय बाद सही सलामत मिल जाते हैं तो कुछ के घरवालों को बुरी खबर मिलती है वही कुछ केस ऐसे भी है जिसमें इंसान गायब तो हुआ लेकिन फिर दोबारा उसका कोई सुराग नहीं मिला जब ऐसे किसी मिसिंग केस की चर्चा होती है तो लोग सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हैं
वैसे तो लोग कई तरह के दावे करते हैं लेकिन असल में उनके साथ अंतिम समय में क्या हुआ यह आज तक एक रहस्य ही है ऐसे ही बहुत से केस है जिन का रहस्य सालों बाद ही बना हुआ है तो चलिए आज ऐसी ही कुछ case की बात करते हैं जहां इंसान कुछ इस तरह गायब हुआ कि दोबारा उसका कोई सुराग नहीं मिला और नहीं आज तक उसका कोई पता मिला
राहुल राजू
बच्चे अपने हम उम्र के दोस्तों के साथ गली में क्रिकेट तो खेलते ही हैं ऐसे में कोई बच्चा गायब भी हो जाता है जिसे खोजने पर पता चलता है कि वह तो अपनी बैटिंग लेकर घर भाग गया ऐसा तो कई बार हुआ है लेकिन 18 मई 2005 को केरल के अल पूजा में एक 7 वर्षीय लड़का जो अपने घर के बाहर क्रिकेट खेल रहा था वह जब गायब हुआ तो आज तक उसका कोई सुराग ना मिला सीबीआई तक इस बच्चे के बारे में पता नहीं लगा सकी
18 मई 2005 को 7 साल का राहुल अपने दोस्तों के साथ गली में क्रिकेट खेल रहा था इसी दौरान वह ग्राउंड में लगे नल से पानी पीने गया उसके साथ क्रिकेट खेल रहे दोस्तों ने आखिरी बार उसे एक दाढ़ी वाले शख्स के साथ देखा था जिसने पहले राहुल से बातें की और फिर उसका वेट उसके दोस्तों की तरफ उछाल दिया दोस्त वेट उठा कर फिर से क्रिकेट खेलने में मस्त हो गए इसी दौरान राहुल गायक हो गया
आज इस घटना को 15 साल से ऊपर हो गए लेकिन राहुल का कोई सुराग नहीं मिला यह केस पहले लोकल पुलिस के पास भी है लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिलने पर यह के सीबीआई को दे दिया गया पुलिस ने इस मामले में राहुल के एक पड़ोसी से पूछताछ की जो दाढ़ी रखता था इसने स्वीकार किया की उसने ही राहुल को मारा है और एक खेत में उसकी लाश को फेंक दिया लेकिन पुलिस को राहुल की लाश कहीं भी नहीं मिली बाद में पता चला कि वह व्यक्ति झूठ बोल रहा था
2006 में यह केस सीबीआई के पास पहुंचा उन्होंने भी कई लोगों से पूछताछ की लेकिन राहुल का पता नहीं लग सका 2014 में सीबीआई की रिपोर्ट सबमिट कर दी कि राहुल का पता नहीं लगाया जा सकता राहुल को किस ने अगवा किया उसके साथ क्या हुआ वह जिंदा भी है या नहीं यह सभी सवाल आज भी जैसे कि ऐसे ही बने हुए हैं केरल कोर्ट ने राहुल को खोजने पर 50000 का इनाम भी रखा था लेकिन इससे भी कोई फायदा ना हो सका
कार्टर रामास्वामी
एक क्रिकेटर जो क्रिकेट खेलने से पहले टेनिस भी खेल चुका था अपने खेल से अलग खेल खेलने का शौक तो सब खिलाड़ी रखते हैं लेकिन कार्टर रामास्वामी क्रिकेटर होते हुए टेनिस खेलने का सिर्फ एक ही नहीं रखते थे बल्कि वह भारत की तरफ से डेविस कप में हिस्सा भी रह चुके थे 1896 में पैदा होने वाले इस क्रिकेटर ने 1936 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला लेकिन इससे पहले ही यह 1922 में भारत की तरफ से डेविस कप खेल चुके थे
रामास्वामी ने अपना पहला मैच 40 साल की उम्र में पहला तथा वे मात्र दो ही अंतरराष्ट्रीय मैच खेल पाए दो मैच खेलने का मतलब यह नहीं था कि रामास्वामी काबिल क्रिकेटर नहीं थे उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में जगह बनाने के लिए 1 घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट के एक सीजन में 737 रन बनाए थे इस स्कोर के साथ उस समय के दिग्गज खिलाड़ियों विजय मर्चेंट मुस्ताक अली और सी के नायडू से भी आगे निकल गए थे
मगर उन्हें लगातार नजरअंदाज किया गया जिस वजह से उनका कैरियर दो मैचों में ही खत्म हो गया उन्होंने 57 की औसत से दो मैचों में 170 रन बनाए थे रामास्वामी जब जीवन के आखिरी दिनों में थे तब एक दिन वह घर से गायब हो गए उसके बाद उनका कहीं पता नहीं चला उनके परिवार ने उन्हें खोजने की बहुत कोशिश की मगर कामयाब ना हुए अंत में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था
नाना साहेब
पेशवा नाना साहेब के नाम से भला कौन परिचित नहीं होगा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का शिल्पकार कहा जाता है उनका जीवन इतना ही सुलझा हुआ रहा अंत उतना ही रहस्यमय था उलझा हुआ नाना साहेब के जीवन काल के तो कई दस्तावेज आपको मिल जाएंगे मगर वह शहीद का हुए इस बारे में कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 1857 में नाना साहेब की मृत्यु मलेरिया बुखार से हो गई थी
वही इस बात के सबूत मौजूद है कि 1958 में रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे और राव साहेब ने नाना साहेब को अपना फैसला माना था इसके अलावा कहा जाता है कि नाना साहेब 1859 में नेपाल चले गए थे जहां एक शिकार के दौरान वह एक बाघ के हमले से घायल हो गए थे तथा बाद में उनकी मृत्यु हो गई लेकिन यहां भी यह प्रमाण है कि 1860 में अंग्रेजों को उनके नेपाल में होने की खबर मिली थी
तो कहां तो यहां तक जाता है कि नाना साहेब गुजरात के एक मंदिर में 40 साल तक एक ब्राह्मण दयानंद महाराज बन कर रहे नाना साहेब के पोते केशव लाल मेहता के घर से 1970 में 3 दस्तावेज मिले थे इसमें नाना साहेब के गुरु हर्षराम मेहता के भाई कल्याण जी मेहता द्वारा लिखी एक डायरी भी थी कल्याण जी ने अंग्रेजों अंग्रेजों से बचने में नाना साहेब की मदद की थी उनकी डायरी के मुताबिक नानासाहेब गुजरात आए थे और उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी
वही बाजीराव उर्फ सूरज प्रताप ने 1953 में एक अखबार के हवाले से यह दावा किया था कि नाना साहेब की मृत्यु 1926 में हुई थी बता दें कि सूरज प्रताप खुद को पेशवा नाना साहेब के पोते बताते थे नाना साहेब की मृत्यु को लेकर यह सब दावे तो किए गए लेकिन इतिहास में किसी इतिहासकार द्वारा यह प्रमाण नहीं दिए गए कि गायब होने के बाद नाना साहब का क्या हुआ और उनकी मृत्यु कहां हुई
डी बी कपूर
24 नवंबर 1971 को पोर्टलैंड एयरपोर्ट से एक व्यक्ति ने नॉर्थवेस्ट ओरिएंट एयरलाइंस की फ्लाइट की वन वे टिकट बुक कराई जब प्लेन हवा में था तब उस व्यक्ति ने एयर होस्टेज को एक कागज का टुकड़ा दिया जिस पर लिखा था कि मेरे बैग में बम है अब प्लेन में सवार 36 यात्रियों की जान उस शख्स के हाथ में थी प्लेन हाईजैक हो चुका था कुछ देर बाद उसने एक और नोट दिया जिस पर लिखा था कि उसे चार पैराशूट $2000000 केस चाहिए वह भी 20-20 डॉलर के बंडल में.
पैसों के बदले वह इन यात्रियों को छोड़ देगा इसके कुछ समय बाद उसने पायलट को यह आदेश दिया कि फ्लाइट मैक्सिको की तरफ मोड़ ली जाए ऐसा ही हुआ लेकिन सब उस वक्त हैरान हो गए जब वह शख्स अचानक प्लेन से कूद गया 5000 फीट की ऊंचाई से किसी का इस तरह कूद जाना सबको हैरान कर गया उस शख्स का नाम देवी कपूर बताया गया
हैरान करने वाली बात यह थी कि उसने सूट पहना था टाई लगाई थी जो कि किसी तरह से भी स्काई ड्राइविंग के लिए सही ड्रेस नहीं थी एफबीआई ने इस केस की छानबीन की लेकिन कपूर का कहीं कोई सुराग नहीं मिला एफबीआई की केस हिस्ट्री में यह सबसे लंबा चलने वाले अनसुलझे केसों में से एक था 2016 में एफबीआई ने यह केस बंद कर दिया इस तरह उस शख्स का कभी पता ना लग सका जिसे मीडिया ने डीबी कपूर नाम दिया था
स्नेहा एना फिलिप
सितंबर 9 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद दुनिया दहल गई थी तकरीबन 3000 लोगों की जान गई इस हमले में लेकिन एक लड़की जिनका नाम इस हमले में मारे गए लोगों में शामिल है उसकी कहानी बहुत ही हैरान कर देने वाली है 10 सितंबर 2001 को यानी इस आतंकी हमले के एक दिन बाद अमेरिका के मैनहट्टन से एक 31 वर्षीय डॉ गायब हो गई यह डॉक्टर भारतीय मूल की थे भारतीय मूल की स्नेहा एना फिलिप.
स्नेहा को आखिरी बार 21 सेंचुरी नामक एक शॉपिंग डिपार्टमेंट स्टोर के सीसीटीवी कैमरे में देखा गया जिसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिला इस नेहा एकदम से गायब हो गई उसके केस में दो तरह की जांच हुई पहले जो उसके पति रोन लिबरमैन तथा एक प्राइवेट डिटेक्टिव ने की तथा दूसरी जो एक एन वाई पी डी यानी न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा की गई स्नेहा के परिवार के मुताबिक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले में घायल लोगों का इलाज कर रही थी
उनका कहना था कि यही उसके साथ कुछ हुआ तथा इस नेहा का नाम इस हमले की विक्टिम लिस्ट में जोड़ा जाना चाहिए लेकिन एन वाई पी डी की रिपोर्ट एक अलग ही कहानी कह रही थी उनके मुताबिक स्नेहा दोहरी जिंदगी जी रही थी पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक उसे शराब की बुरी लगती तथा वह एक लेस्बियन थी जिसके अन्य लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध थे पुलिस का मानना था कि हो सकता है कि इस स्नेहा की किसी ने हत्या कर दी हो.
या फिर वह अपनी इस दूरी जिंदगी से तंग आ गई हो और इस हादसे को अंजाम देकर वह अपनी नई जिंदगी शुरु करना चाहती हो 2004 में पहले तो एक कोर्ट ने इस नेहा का नाम विक्टिम लिस्ट से यह कहकर हटा दिया कि स्नेहा इस हमले के कारण नहीं बल्कि अपनी निजी जिंदगी की परेशानियों के कारण गायब हुई है लेकिन 2008 में इस फैसले पर माफी मांगते हुए एक अन्य कोर्ट ने स्नेहा को वर्कर सेंटर हमले का 2751 वाह विक्टिम घोषित कर दिया|
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